अधिगम की विधियाँ एवम् प्रकार, रॉबर्ट एम. गैने/ Robert M. Gagne

 

            अधिगम की विधियाँ 

  सीखने की प्रकृति के आधार पर अधिगम की विधियों को पाँच भागों में विभाजित किया गया है

1. अनुकरण द्वारा सीखना- इसमें व्यक्ति दूसरे की क्रियाओं को देखकर स्वयं ऐसी ही क्रियाएँ करने लगता है प्राथमिक स्तर पर यह अधिगम की सर्वप्रमुख विधि है इसके द्वारा चलना , उठना , खड़ा होना , नृत्य करना , संगीत आदि प्रमुख है आदत , निर्माण , लेखन , चित्र बनाने , शिक्षा के क्षेत्र में हम चेतन रूप   से  अनुकरण करते है

 2. निरीक्षण द्वारा सीखनाजब किसी व्यक्ति , वस्तु , घटना या क्रिया को समालोचनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है , तो इसे निरीक्षण कहते है इसमें सर्वप्रथम मूर्त के आधार पर अमूर्त का अधिगम करना सिखाया जाता है , इसे उच्च स्तर का अधिगम माना जाता है

3. प्रयास एंव त्रुटि द्वारा सीखनाप्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अनेक कार्य एव क्रियाएँ करता है जिनमें से कुछ सफल तथा कुछ असफल होती है जब व्यक्ति सफल अनुक्रिया द्वारा सीखता है तो इसे प्रयास या त्रुटि कहा जाता है , जिसमें व्यक्ति सफल अनुक्रियाओं की भविष्य में पुनरावृति करता है यह सीखने का सबसे सरल एंव साधारण तरीका है

4 . अनुकूलित अनुक्रिया द्वारा सीखनाप्रत्येक व्यक्ति अपने स्वभाव के आधार पर सकारात्मक एंव नकारात्मक दृष्टिकोण रखता है जब वह सकारात्मक एंव नकारात्मक दृष्टिकोण को संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया जाता है तो वह नकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा भी सीख जाता है जैसे- प्रशंसा एंव निन्दा , पुरूस्कार एंव दण्ड , सफलता एंव असफलता आदि

5 . अर्न्तदृष्टि द्वारा सीखनापरिस्थिति को समझ जाना तथा उसके अनुसार प्रतिक्रिया करना ही सूझ का प्रतीक है प्रत्येक व्यक्ति के समक्ष अनेक समस्याएं होती है जब व्यक्ति उनके समाधान हेतु सम्पूर्ण प्रयास करता है तब उसमें प्रत्यक्षीकरण की क्षमता स्वतः उत्पन्न हो जाती है , जिसके द्वारा व्यक्ति में अचानक समस्या के समाधान हेतु सूझ या अर्न्तदृष्टि उत्पन्न हो जाती है इसे कठिन या जटिल अधिगम माना जाता है

 अधिगम प्रत्येक प्राणी या मानव के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है , क्योंकि इससे ज्ञान , आवश्यकताओ की पूर्ति विकास, व्यवहार परिवर्तन एंव व्यक्तित्व निर्मित होता है

             अधिगम के प्रकार

रॉबर्ट एम. गैने( Robert M. Gagne ) द्वारा अधिगम के 8 प्रकार बताये गए है यह प्रकार एक पदानुक्रम में व्यवस्थित है तथा पूर्व अधिगम का प्रकार बाद वाले अधिगम के प्रकार के लिए पूर्व आवश्यकता है

गेने का अधिगम अनुक्रम

         यह 8 प्रकार निम्न है

1- संकेत ( Signal learning ) - यह प्रकार पावलव( Pavlov ) के अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत पर आधारित है इसमें संकेत मात्र से शिक्षण होते है उदाहरणार्थ - चौराहे पर लाल बत्ती को देख कर यातायात वाहनों का रुक जाना   यह सिद्धांत मनोवैज्ञानिक पावलव ( Pavlov ) के पुरातन सिद्धांत की व्याख्या करता है

2- उद्दीपक - अनुक्रिया ( Stimulus - response learning ) - यह प्रकार थार्नडाइक के उद्दीपक - अनुक्रिया सिद्धांत पर आधारित है   इसमें एक उद्दीपक द्वारा अनुक्रिया को प्रेरित करके अधिगम होता है इसको प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धांत भी कहा जाता है इसमें बार बार प्रयास करने पर बल दिया गया है ताकि कमियों को दूर कर सके

 

3- श्रृंखला ( Chaining ) - यह क्रमिक अधिगम भी कहलाता है इसमें विषय वस्तु को एक क्रम में प्रस्तुत करके अधिगम करवाया जाता है गुथरी द्वारा एक श्रृंखला इस प्रकार बताई गई

उदाहरणार्थ-  लड़की द्वारा कोट उतार कर फर्श पर फेंकना - माता द्वारा लड़की को कोट पहन कर पुनः अंदर जाने का निर्देश देना -लड़की का पुन : अंदर आना कोट को उतार कर निश्चित जगह पर टांगना  

        श्रृंखला अधिगम दो प्रकार होता है -

1- समरूपी - समरूपी में व्यक्ति एक तरीके की ही अनुक्रिया करता है

2- विषमरूपी -  विषमरूपी में व्यक्ति अलग अलग ढंग से अनुक्रिया करता है

4- शाब्दिक ( Verbal association learning )इस अधिगम का संबंध शाब्दिक व्यवहार में परिवर्तन से है इस में सस्वर वाचन ,पाठों का रटंन स्मरण आदि शामिल होता है करने पर बल दिया

5-  बहुविभेदन ( Discrimination learning ) - इस में प्राणी अपने सामने प्रस्तुत विभिन्न उद्दीपकों से सही सीखता है व्यक्ति दो उद्दीपकों में अंतर करता तथा विभिन्न प्रकार से अनुक्रिया करता है उदाहरण - बहु वैकल्पिक प्रश्नों द्वारा सीखना

6- प्रत्यय ( Concept learning ) -  इस अधिगम में प्राणी पूर्व अनुभवों, प्रशिक्षण, संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के आधार पर प्रत्ययों का निर्माण करता है प्रत्यय वस्तुओं व्यक्तियों , प्राणियों अथवा घटनाओ के संबंध में सामान्यीकृत विचार या मानसिक बिम्ब होते है

7- सिद्धांत ( Rule learning) -  इस में विभिन्न सिद्धांत समझने की प्रक्रिया होती है किसी प्रक्रिया अथवा घटना को संचालित करने की कार्यविधि से संबंधी क्रमबद्ध तथा तार्किक विवेचन ही सिद्धांत कहलाते है इस प्रकार में व्यक्ति दो या अधिक सिद्धांतों के पारस्परिक सम्बन्ध से नया प्रत्यय समझता है अर्थात जो प्रत्यय हम जानते है उसको हम नए सिद्धांत को समझने में मदद करते हैं

8- समस्या समाधान ( Problem solving ) - अधिगम सोपनिकी में यह सर्वश्रेष्ठ अधिगम है, इसमें बालक के सामने एक समस्या प्रस्तुत की जाती है तथा वह अपनी विभिन्न मानसिक शक्तियों चिंतन, मनन, तर्क, विश्लेषण द्वारा समस्या का समाधान प्राप्त करता है इस प्रकार से ही मानव जाति ने प्रगति प्राप्त की है इस प्रकार की सीख स्थाई होती है इसमें अधिगमकर्ता हिस्सों में नहीं सीखता

 


 

 

 

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